लेखनी:-- मासिक लेखन प्रतियोगिता
विषय- रिश्तों की बदलती तस्वीर
शीर्षक- रिश्तों की बुनियाद
विद्या- कविता
"रिश्तों की बुनियाद"
रिश्ते नाते तो, बुनियाद पर टिके,
रिश्तों की डोर भर, सच्ची होती,
आज के दौर में, कितने बदलते रिश्ते,
मजबूती तो चाहिए, डोर न कच्ची होती,
संस्कृति और, संस्कार से टिकते,
बदलें न रिश्ते, नातों की डोर पक्की होती,
भरे पूरे सम्मलित, परिवार में रहते,
आदर्श परिवार, नींव न कभी कच्ची होती,
शिक्षित होते हुए भी, समझ न रखते,
टूटते परिवार एकल, समझ कच्ची होती,
जर जोरु जमीन जायदाद, बदलते रिश्ते,
संस्कारों की रहती गठरी, नीव जब पक्की होती,
संस्कारों का बड़ा मोल, तोल मोल के बोलते,
हर घर आदर सत्कार, रिश्तों की डोर पक्की होती,
समय के बदलाव में, बदलते कच्चे पक्के रिश्ते,
मजबूती से थामों रखो, डोर कभी न कच्ची होती ।
काव्य रचना-रजनी कटारे
जबलपुर म. प्र.
Swati chourasia
08-Jul-2022 07:29 PM
बहुत खूब 👌
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Seema Priyadarshini sahay
01-Jul-2022 10:26 AM
बहुत खूबसूरत
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surya
30-Jun-2022 05:24 PM
Bahut khub
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